भारतीय Stock Market में हाल ही में गिरावट का दौर जारी है, जिसमें लगातार तीन कारोबारी दिनों के दौरान सेंसेक्स तीन सप्ताह के सबसे कम स्तर, यानी 81,688 पर पहुँच गया। हालांकि, निफ्टी ने 25,000 अंकों की सीमा को पार करने में सफलता प्राप्त की। पिछले पांच दिनों में, निवेशकों की संपत्ति में लगभग 16.26 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। आने वाले सप्ताह में बाजार के रुख पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
पश्चिम एशिया के बढ़ते तनाव और लगातार बिकवाली के कारण भारतीय बाजारों में निरंतर गिरावट देखी गई है। पिछले पांच दिनों में, सेंसेक्स 4,147.67 अंक गिरकर 82,000 से नीचे आ गया है, और निफ्टी भी 1,201.45 अंक गिर चुका है। फिर भी यह 25,000 के स्तर से ऊपर बना हुआ है। इसी अवधि में, निवेशकों की संपत्ति में भारी कमी दर्ज की गई है, और अब BSE में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार मूल्यांकन घटकर 460.89 लाख करोड़ रुपये या 5.49 ट्रिलियन डॉलर रह गया है।
शुक्रवार को भी Stock Market लहूलुहान
इस हफ्ते Stock Market में निवेशकों ने एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, और ऊर्जा क्षेत्र के शेयरों से दूरी बनाई, जिसके चलते शुक्रवार को सेंसेक्स में भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स तीन सप्ताह के सबसे निम्न स्तर 81,688.45 अंक पर बंद हुआ, जिसमें दिन के दौरान 808.65 अंकों की गिरावट आई। दिन के कारोबार में यह 81,532.45 अंकों के निम्नतम स्तर से 83,368.32 अंकों के उच्चतम स्तर तक गया, जो कि 1,835.64 अंकों का उतार-चढ़ाव दिखाता है।
इसी प्रकार, निफ्टी भी 235.50 अंक नीचे गिरकर 25,014.60 पर बंद हुआ। सप्ताह भर में सेंसेक्स 3,883.4 अंक और निफ्टी 1,164.35 अंक नीचे आया, जो पिछले दो वर्षों में इनकी सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन मानी जा रही है। वहीं, आईटी सेक्टर में तेजी देखने को मिली, जबकि मिडकैप में 0.94% और स्मॉलकैप में 0.80% की गिरावट रही।
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क्या है Stock Market एक्सपर्ट की राय
विनोद नायर, जो कि जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख हैं, ने बताया कि निवेशक वर्तमान में पश्चिम एशिया में उभरते हुए संघर्षों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और इसी के चलते अपनी निवेश रणनीतियों में बदलाव कर रहे हैं। इस स्थिति का प्रभाव घरेलू Stock Market पर भी पड़ रहा है, जिससे बाजार में थोड़ी मंदी देखी जा रही है। कच्चे तेल के दाम में वृद्धि और चीन जैसे कम कीमत वाले बाजारों में निवेश बढ़ने के कारण आने वाले समय में भी बाजार की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद कम है।
हाल के दिनों में, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बड़े पैमाने पर बिकवाली करते हुए भारतीय बाजारों से ₹30,614 करोड़ निकाले हैं और इसे हांगकांग के बाजारों में निवेश किया है। FII का मानना है कि चीन द्वारा लागू किए जा रहे मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन से वहां की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, जिससे चीनी कंपनियों की आय में भी सुधार होगा। लेकिन यह अभी देखना बाकी है कि ये सुधार कितने प्रभावी होंगे।
सोमवार को कैसा रहेगा Stock Market का माहौल
शेयर बाजार की अगली दिशा अब ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष और विदेशी निवेशकों के नजरिए पर काफी निर्भर करेगी। Stock Market के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि होती है और विदेशी निवेशक बिकवाली में लगे रहते हैं, तो भारतीय बाजार में गिरावट और गहरा सकती है। पिछली मंदी के बाद बाजार में थोड़ी स्थिरता या हल्की वृद्धि देखी जा सकती है।
सेक्टरों की बात करें तो आईटी, मेटल और फार्मा जैसे क्षेत्रों में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में जारी बिकवाली के दबाव से बाजार नीचे खिसक रहा है। अब, भारतीय रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती की कोई संभावना नहीं दिख रही है, क्योंकि वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता के कारण कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल आया है, जिससे महंगाई का खतरा भी बढ़ गया है। इस परिस्थिति में ब्याज दरों में कमी कर पाना रिजर्व बैंक के लिए कठिनाई भरा कार्य होगा।
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