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Ratan Tata Passes Away: टाटा समूह के मानद चेयरमैन ने 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Sandeep Bindra
Last updated: October 10, 2024 12:55 pm
Sandeep Bindra
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7 Min Read
Ratan Tata Passes Away: टाटा समूह के मानद चेयरमैन ने 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
Ratan Tata Passes Away: टाटा समूह के मानद चेयरमैन ने 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Ratan Tata Passes Away: भारतीय उद्योग जगत के चमकते सितारे, रतन टाटा ने 86 वर्ष की आयु में अपनी आखिरी सांस ली। उनका निधन मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने उन्हें एक दूरदर्शी और असाधारण व्यक्तित्व के रूप में याद किया। 2008 में रतन टाटा को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, जो देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

Contents
समूह की तरफ से टाटा संस के चेयरमैन ने बयान जारी कियाटाटा की पहल ने गहरी छाप छोड़ी, आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा लाभखबरों का Ratan Tata ने खुद खंडन किया थाहार्वर्ड बिजनेस स्कूल से की पढ़ाईकौन होगा वारिसविदेशी फर्म का सबसे बड़ा अधिग्रहण

Ratan Tata के निधन से न केवल टाटा समूह बल्कि पूरा देश एक महान नेता और विजनरी को खो बैठा है। वे सोमवार को स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे, और बुधवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। अस्पताल में उनके निधन से एक दिन पहले तक उनकी स्थिति स्थिर थी, लेकिन फिर भी डॉक्टरों की टीम उन्हें बचा नहीं पाई। रतन टाटा अपने सरल और सादगी भरे जीवन के लिए प्रसिद्ध थे, और उन्होंने उदारीकरण के दौरान टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1937 को हुआ था, और वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के पुत्र थे।

समूह की तरफ से टाटा संस के चेयरमैन ने बयान जारी किया

टाटा समूह ने Ratan Tata Passes Away की घोषणा के साथ एक युग का अंत देखा। चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इस अवसर पर अपने गहरे शोक का इजहार किया। उन्होंने कहा, ‘आज हम रतन नवल टाटा को भारी मन से विदा कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल एक चेयरमैन के रूप में, बल्कि एक गुरु, एक मार्गदर्शक और एक सच्चे मित्र के रूप में भी हमेशा हमें प्रेरित किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न सिर्फ भारत में, बल्कि वैश्विक पटल पर भी अपनी पहचान बनाई। उनकी दूरदर्शिता, उत्कृष्टता और अखंडता ने हमेशा हमारे समूह को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

टाटा की पहल ने गहरी छाप छोड़ी, आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा लाभ

Ratan Tata Passes Away की दुखद खबर ने समाज के लिए उनके अनवरत प्रयासों की याद दिला दी है। टाटा संस के चेयरमैन, चंद्रशेखरन ने बताया कि Ratan Tata का योगदान न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा है। उनके इन प्रयासों से न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी लाभान्वित होंगी। उनकी सादगी और विनम्रता हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिससे उन्होंने बात की। चंद्रशेखरन ने आगे कहा, “टाटा परिवार की तरफ से, मैं उनके निकट और प्रियजनों को हार्दिक संवेदना प्रेषित करता हूँ। उनकी विरासत हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेगी।

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खबरों का Ratan Tata ने खुद खंडन किया था

इस सप्ताह के शुरुआत में, यह खबर सामने आई कि टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में भर्ती करना पड़ा था। खबरें थीं कि उनका ब्लड प्रेशर अचानक से काफी कम हो गया था, जिसके चलते उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया और आईसीयू में उपचार के लिए रखा गया। हालांकि, कुछ ही घंटों में रतन टाटा ने स्वयं अपने सोशल मीडिया हैंडल पर यह स्पष्ट कर दिया कि ये सभी खबरें अफवाह भर हैं और उनकी सेहत ठीक है।

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से की पढ़ाई

Ratan Tata ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई से पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने आर्किटेक्चर में बीएस की डिग्री हासिल की। 1961 में वे टाटा ग्रुप से जुड़े और अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम में अध्ययन किया। 1991 में वे टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने और 2012 तक इस पद पर रहे।

उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने भारत में पहली पूर्ण रूप से निर्मित कार टाटा इंडिका का उत्पादन शुरू किया और दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो का निर्माण किया। इसके अलावा, उनकी दूरदर्शी सोच के चलते टाटा समूह ने लैंड रोवर और जगुआर जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का अधिग्रहण किया, जिससे वैश्विक बाजार में उनका दबदबा स्थापित हुआ। उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था।

कौन होगा वारिस

Ratan Tata Passes Away की खबर से जुड़े हुए, यह सवाल उठता है कि Ratan Tata की विशाल संपत्ति का उत्तराधिकारी कौन होगा, खासकर जब उन्होंने शादी नहीं की थी और उनकी कोई अपनी संतान नहीं है। इस स्थिति में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा सबसे प्रमुख उम्मीदवार हैं। नोएल टाटा, रतन टाटा के पिता नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन टाटा के पुत्र हैं। परिवार के नजदीकी सदस्य होने के नाते, नोएल का नाम अक्सर चर्चा में आता है। नोएल के तीन बच्चे – माया टाटा, नेविल टाटा और लिया टाटा भी उनकी संपत्ति के लिए संभावित दावेदार के रूप में देखे जाते हैं।

विदेशी फर्म का सबसे बड़ा अधिग्रहण

रतन टाटा ने 1996 में दूरसंचार सेवाओं के क्षेत्र में टाटा टेलीसर्विसेज का आगाज किया और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के माध्यम से IT सेक्टर में कदम रखा। वर्ष 2000 में, टाटा समूह ने ब्रिटेन की प्रसिद्ध चाय कंपनी टेटली को 432 मिलियन डॉलर में खरीदा, जो उस समय एक भारतीय कंपनी द्वारा विदेशी कंपनी का सबसे बड़ा अधिग्रहण था। इसके बाद, 2007 में उन्होंने एंग्लो-डच स्टील कंपनी कोरस को 13 बिलियन डॉलर में खरीदा।

फिर 2008 में, टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटिश लग्जरी ऑटो ब्रांड, जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में हासिल किया। Ratan Tata Passes Away की खबर से उद्योग जगत में शोक की लहर है।

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