स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। इससे उबरने के दौरान, कई लोग “Depression” यानि अवसाद का अनुभव करते हैं, जिसे पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन कहते हैं। यह स्थिति उनकी वसूली को और भी जटिल बना सकती है। इसलिए, इसकी पहचान और सही समय पर उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। आज के लेख में हम पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन के लक्षणों और इलाज की जानकारी प्रदान करेंगे।
Depression
मानव शरीर एक अद्भुत और जटिल रचना है, जिसमें हर भाग आपस में गहराई से जुड़ा हुआ है। हमारे दिमाग और दिल के बीच का संबंध भी काफी मजबूत है, जो हमारी मानसिक और हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। “Depression” और अन्य मानसिक स्थितियां जैसे कि चिंता और तनाव, हृदय रोगों जैसे कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के खतरे को बढ़ा सकती हैं। इसी प्रकार, जो लोग स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति से गुज़रते हैं, उनमें अक्सर डिप्रेशन के लक्षण विकसित हो सकते हैं। ऐसे में, पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन की पहचान और उपचार बेहद जरूरी है, ताकि यह और भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण न बन सके।
स्ट्रोक के बाद, कई बार मानसिक स्वास्थ्य में गंभीर बदलाव देखे जाते हैं, जिनमें ‘Depression‘ प्रमुख है। यह स्ट्रोक का एक सामान्य परिणाम हो सकता है। स्ट्रोक के बाद, लगभग हर तीन में से एक व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण विकसित हो सकते हैं, जो उनकी न्यूरोमोटर रिकवरी को धीमा कर सकते हैं, जीवन की गुणवत्ता को खराब कर सकते हैं और मृत्यु दर को भी बढ़ा सकते हैं। डिप्रेशन स्ट्रोक के कुछ महीनों बाद या कभी-कभी सालों बाद भी हो सकता है, और यह स्थिति लगभग 30% स्ट्रोक सर्वाइवर्स में देखी गई है।
Depression के लक्षण
पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन के लक्षणों को समझना उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो स्ट्रोक से उबर रहे हैं या उनके करीबी हैं। यहां कुछ आम लक्षण दिए गए हैं:
- घबराहट और बेचैनी: स्ट्रोक के बाद कई बार व्यक्ति को अचानक से घबराहट और बेचैनी महसूस हो सकती है।
- दिल की तेज़ धड़कन: व्यक्ति को लग सकता है कि उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा है।
- मृत्यु का डर: स्ट्रोक से उबरने वाले कई लोग मृत्यु के ख्यालों से ग्रस्त रह सकते हैं।
- रुचि में कमी: पहले जिन चीजों में दिलचस्पी रहती थी, उनमें रुचि कम होना।
- एनर्जी की कमी: थकान और ऊर्जा में कमी महसूस करना आम है।
- भूख में परिवर्तन: भूख बहुत ज्यादा लगना या बिल्कुल न लगना।
- आत्महत्या के विचार और प्रयास: गंभीर मामलों में, आत्महत्या के विचार आना या उसके प्रयास हो सकते हैं।
- निर्णय लेने में कठिनाई: निर्णय लेने में या चीजों को याद रखने में दिक्कत हो सकती है।
- मूड में उतार-चढ़ाव: हमेशा मूड खराब रहना या एक खालीपन और उदासी का अनुभव होना।
ये लक्षण इस बात के संकेत हैं कि स्ट्रोक के बाद व्यक्ति को उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता है।
Depression का इलाज
पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन का उपचार बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें सही मार्गदर्शन और चिकित्सा की आवश्यकता होती है। यहां उपचार के कुछ प्रमुख तरीके दिए गए हैं:
- मनोचिकित्सक की सलाह लें: स्ट्रोक के बाद उत्पन्न डिप्रेशन के लिए पेशेवर मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। वे व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार उपचार प्रदान कर सकते हैं।
- पौष्टिक आहार: संतुलित और पौष्टिक आहार लेना स्वास्थ्य लाभ में सहायक होता है और मूड में सुधार लाने में मदद करता है।
- भावनाओं को साझा करना: परिवार या दोस्तों के साथ अपनी भावनाओं को खुलकर साझा करने से मन को बहुत सहारा मिलता है। यह आपको अकेला महसूस नहीं होने देता।
- थेरेपी: कई प्रकार की थेरेपी जैसे कि कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT), इंटरपर्सनल थेरेपी, और माइंडफुलनेस बेस्ड कॉग्निटिव थेरेपी उपलब्ध हैं जो Depression के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। ये थेरेपी व्यक्ति को अपनी सोच को सकारात्मक दिशा में मोड़ने में मदद करती हैं और धीरे-धीरे Depression से बाहर आने में सहायक होती हैं।
इन उपायों को अपनाकर न केवल Depression से उबरने में मदद मिलेगी, बल्कि आपका समग्र मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
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