Covaxin :इस विकट कोरोना महामारी के दौरान लोगों की रक्षा के लिए विकसित की गई वैक्सीनें अब कुछ स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बनती दिख रही हैं। हाल ही में, कोविडशील्ड वैक्सीन से जुड़े साइड इफेक्ट्स की खबरों के बाद, भारत बायोटेक द्वारा निर्मित Covaxin के संभावित दुष्प्रभावों ने भी लोगों में चिंता का वातावरण निर्मित किया है। ताज़ा शोध में, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह खुलासा हुआ कि Covaxin का उपयोग कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, जिससे विशेषज्ञों और आम जनता के बीच संशय की स्थिति बनी हुई है।
Covaxin उठे सवाल ?
हाल ही में, कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की खबरों ने इसे लेने वाले व्यक्तियों को गहरी चिंता में डाल दिया था। इसी दौरान, कोवैक्सिन को लगवा चुके लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली, मगर अब उनके लिए भी चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। ताज़ा अध्ययन में, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन से जुड़े संभावित नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है। यह नया अध्ययन क्या कहता है, आइए विस्तार से जानते हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की शंख शुभ्रा चक्रवर्ती और उनकी टीम द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण अध्ययन, जिसे स्प्रिंगर लिंक जर्नल में प्रकाशित किया गया है, ने कोवैक्सिन के संभावित साइड इफेक्ट्स की पड़ताल की। इस शोध में यह पाया गया कि कोवैक्सिन लगवाने के बाद कुछ विशेष समुदायों में, विशेष रूप से लड़कियों और पहले से किसी एलर्जी से ग्रस्त लोगों में, adverse events of special interest (AESI) यानी कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलीं। इस अध्ययन ने वैक्सीन सुरक्षा पर नई चर्चा को जन्म दिया है, जिससे स्वास्थ्य नीति निर्माताओं और मेडिकल प्रोफेशनल्स को इन जोखिमों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता पर बल मिलता है।
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सांस और त्वचा संबंधित समस्याओं का खतरा
एक व्यापक अध्ययन, जिसमें 635 किशोरों और 291 वयस्कों ने भाग लिया, में शोधकर्ताओं ने कोवैक्सिन वैक्सीन लगवा चुके लोगों में कुछ गंभीर स्वास्थ्य विकारों की पहचान की। इस अध्ययन से यह जानकारी सामने आई कि वैक्सीन लगवाने वाले 10.5% लोगों को त्वचा से संबंधित समस्याएँ हुईं, जबकि 10.2% ने सामान्य स्वास्थ्य विकारों का अनुभव किया।
इसके अलावा, 4.7% लोगों में नर्वस सिस्टम से जुड़ी गंभीर समस्याएँ उजागर हुईं। महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित असामान्यताएं भी देखने को मिलीं, और 2.7% लोगों में आंखों की समस्याएं तथा 0.6% में हाइपोथायरायडिज्म की स्थितियां पाई गईं। इस अध्ययन ने वैक्सीन से जुड़े संभावित जोखिमों की गहराई से समझ प्रदान की है, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों को आगे की रणनीति बनाने में मदद मिल सकती है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम का भी खतरा
Covaxin : इस गहन अध्ययन से एक और चिंताजनक जानकारी सामने आई है कि अध्ययन में शामिल 0.3% प्रतिभागियों में स्ट्रोक के मामले और 0.1% में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान की गई। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (NINDS) के अनुसार, GBS एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मांसपेशियों के कमजोर होने और अंततः लकवे तक ले जा सकती है।
इस बीमारी में शरीर के बड़े हिस्से धीरे-धीरे निशक्त हो जाते हैं, जिससे रोगी की दैनिक जीवन शैली में काफी बाधा उत्पन्न होती है। ये निष्कर्ष स्वास्थ्य नीति निर्माताओं और मेडिकल समुदाय के लिए वैक्सीन के संभावित जोखिमों के प्रति और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
कोविडशील्ड भी सवालो के बीच
Covaxin : पहले से ही कोविडशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की खबरों ने लोगों में विशेष चिंता और भय की स्थिति पैदा की थी। एस्ट्राजेनेका, जो कि कोविडशील्ड की निर्माता कंपनी है, ने स्वीकार किया था कि इस वैक्सीन के दुष्प्रभाव के रूप में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) हो सकता है। TTS एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जहां शरीर में अनायास खून के थक्के बनने लगते हैं, जिससे हृदयाघात, स्ट्रोक और तेजी से प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आ सकती है। इस तरह के दुष्प्रभावों की खबर से वैक्सीन के प्रति जन संकोच और भय और भी बढ़ गया था, जिससे लोगों में वैक्सीनेशन के प्रति हिचकिचाहट उत्पन्न हुई थी।
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