Normal Vs Turbo Engine: कौनसी कार खरीदे? जानिए फर्क!
Normal Vs Turbo Engine: भारत में कार निर्माताओं द्वारा कई विशेषताओं के साथ कई तरह की कारें पेश की जाती हैं। इनमें फीचर्स से लेकर इंजन तक कई विकल्प शामिल होते हैं। बाजार में सामान्य और टर्बो इंजन वाले विकल्प के साथ ही एक ही कार के कई वेरिएंट उपलब्ध होते हैं। Normal Vs Turbo Engine: किस तरह का इंजन कार की खरीद में बेहतर होगा, इसे जानने के लिए हम आपको बताते हैं।
जब कोई व्यक्ति अपने लिए कार खरीदने के लिए शोरूम पर जाता है, तो उसे एक ही कार में कई तरह के इंजन के विकल्प की जानकारी मिलती है।
लेकिन अक्सर लोगों को इस बारे में सही जानकारी नहीं होती कि उनके लिए सामान्य इंजन वाली कार खरीदना बेहतर होगा या फिर उनके लिए टर्बो इंजन वाली कार। हम इस लेख में आपको कारों में उपलब्ध Normal Vs Turbo Engine के विकल्प के बारे में जानकारी देंगे।
सामान्य इंजन
कारों में पाए जाने वाले सामान्य इंजन को नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन भी कहा जाता है, जिसमें हवा को प्राकृतिक रूप से पहुंचाया जाता है। इस इंजन में सामान्य प्रक्रिया का उपयोग होता है ताकि हवा को सिलेंडर तक पहुंचाया जा सके और इस प्रक्रिया में पावर बनाने के लिए चार चरणों का उपयोग किया जाता है, जिससे कार को चलाया जा सकता है।
इस तरह के इंजन वाली कार का लाभ है कि इसमें पेट्रोल या डीजल की खपत कम होती है, हालांकि इनमें कम पावर उत्पन्न होती है।
टर्बो चार्ज इंजन
सामान्य इंजन के मुकाबले टर्बो चार्ज इंजन के साथ गाड़ी में छोटे टर्बाइन लगाए जाते हैं। जिससे इंजन तक जाने वाली हवा के दबाव को बढ़ाया जाता है। यह चैंबर में ज्यादा मात्रा में हवा को रोकते हैं और इसका फायदा यह होता है कि इंजन की पावर बढ़ जाती है।
इस तरह के इंजन का फायदा यह होता है कि छोटे इंजन के साथ होने पर भी यह सामान्य और बड़े इंजन के मुकाबले ज्यादा पावर जनरेट कर सकते हैं। लेकिन इनका नुकसान यह होता है कि टर्बो चार्ज के कारण कार का एवरेज कम हो जाता है।
किसका उपयोग ज्यादा होता है
भारत सहित दुनियाभर के अधिकतर देशों में Normal Vs Turbo Engine की तुलना में सामान्य इंजन वाली कारों का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। वहीं टर्बो चार्ज इंजन का उपयोग पिछले कुछ समय से शुरू हुआ है। ऐसे में ज्यादातर लोग सामान्य इंजन वाली कारों का उपयोग करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे टर्बो चार्ज इंजन की भी लोकप्रियता बढ़ रही है।
कौन सा इंजन ज्यादा भरोसेमंद
अगर हम दोनों में बात करे Normal Vs Turbo Engine की तो नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन में, इंजन के अलावा अलग से पार्ट्स और तकनीक का उपयोग नहीं किया जाता।
हालांकि, टर्बोचार्ज्ड इंजन में, इंजन के साथ कई अन्य पार्ट्स और तकनीक को जोड़ा जाता है। इससे, टर्बोचार्ज्ड इंजन का रखरखाव भी ज्यादा विशाल होता है। इसके अतिरिक्त, इस तरह के इंजन में, अगर किसी पार्ट में खराबी आ जाए, तो उसे ठीक करवाने में भी परेशानी होती है।
किस इंजन से मिलता है एवरेज
औसत के अनुसार, Normal Vs Turbo Engine में टर्बोचार्ज्ड इंजन वाली कार सामान्य इंजन वाली कार के मुकाबले कम ईंधन की खपत करती है, जिससे कार एक ही ईंधन में ज्यादा दूर तक चला सकती है। इसके साइज छोटा होने के बावजूद, टर्बोचार्ज्ड इंजन की ताकतवरता के कारण इससे अधिक औसत मिलती है।
कौन सा इंजन ज्यादा भरोसेमंद
भरोसे की बात की जाए तो Normal Vs Turbo Engine में तो नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन में, इंजन के अलावा अलग से कोई भी पार्ट्स और तकनीक का उपयोग नहीं किया जाता है। वहीं, टर्बोचार्ज्ड इंजन में, इंजन के साथ कई अन्य पार्ट्स और तकनीक को जोड़ा जाता है। इस वजह से, टर्बोचार्ज्ड इंजन का रखरखाव भी अधिक महंगा होता है। साथ ही, इस तरह के इंजन में, अगर कोई पार्ट में खराबी आ जाती है तो उसे ठीक करवाने में भी कठिनाई हो सकती है।