Liberalized Remittance Scheme : वाणिज्यिक बैंक उदार धनप्रेषण योजना (Liberalized Remittance Scheme) के अंतर्गत 1 अप्रैल से विदेशी खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड के उपयोग की नई योजना पर काम कर रहे हैं। यह योजना भारतीय नागरिकों को विदेश में अपने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से व्यय करने की सुविधा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हालांकि, इस योजना पर अंतिम निर्णय लेने से पहले सरकार इसकी समीक्षा कर रही है और इसकी मंजूरी अभी भी लंबित है। यह प्रक्रिया विदेशी व्यय के नियमन और निगरानी को और अधिक कुशल बनाने के उद्देश्य से की जा रही है, जिससे विदेशी मुद्रा के प्रवाह पर बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित हो सके। इसके सफल होने पर, यह योजना न केवल अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के दौरान भारतीय नागरिकों को आर्थिक लचीलापन प्रदान करेगी बल्कि उनके वित्तीय लेनदेन को भी आसान बनाएगी।
Liberalized Remittance Scheme: विदेशी लेन-देन के नियम और भारतीय बैंकों की तैयारी
पिछले वर्ष, सरकार ने यह घोषित किया था कि विदेशी मुद्रा में किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड द्वारा व्यय, उदार धनप्रेषण योजना (Liberalized Remittance Scheme) की 2,50,000 डॉलर की वार्षिक सीमा के अंतर्गत आएगा। इसके अलावा, कार्ड धारकों को विदेश में क्रेडिट कार्ड से किए गए लेनदेन पर स्रोत पर कर संग्रह (TCS) के रूप में 20 प्रतिशत तक का कर भुगतान करने की आवश्यकता होगी।
हालांकि, उद्योग जगत के व्यवसायियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के आधार पर, इस योजना के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाया गया था। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण था ग्राहकों की सुविधाओं और व्यवसायिक समुदाय की चिंताओं को समझना और उन्हें दूर करना। इस पहल का उद्देश्य विदेशी मुद्रा लेनदेन को और अधिक पारदर्शी बनाना और उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है।
भारतीय बैंकों द्वारा Liberalized Remittance Scheme अनुपालन: एक नई दिशा
भारतीय बैंक, सरकार की समीक्षा और प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहे हैं, फिर भी उन्होंने उदार धनप्रेषण योजना (Liberalized Remittance Scheme) के अंतर्गत विदेशी लेनदेन के लिए आवश्यक तैयारियाँ कर ली हैं। एक निजी बैंक के क्रेडिट कार्ड विभाग के अधिकारी के अनुसार, “बैंक 1 अप्रैल से इस नियम को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
” उन्होंने आगे कहा, “बैंकों को अपने बैकएंड सिस्टम में उपभोक्ता डाटा वेयरहाउस स्थापित करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी प्रकार के रेमिटेंस का एकीकरण हो, जिससे संग्रहित किए गए कर का सही ढंग से निर्धारण और लागू किया जा सके।”
सरकार ने उदार धनप्रेषण योजना (Liberalized Remittance Scheme) के अंतर्गत यह स्पष्ट किया है कि सभी उद्देश्यों के लिए स्रोत पर कर संग्रहण (TCS) की दर में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, विदेश यात्रा और टूर पैकेज के लिए खर्च की गई राशि पर प्रति व्यक्ति सालाना 7 लाख रुपये की सीमा निर्धारित की गई है, भले ही इसका भुगतान किसी भी माध्यम से क्यों न किया जाए।
Liberalized Remittance Scheme के तहत विदेशी लेन-देन: बैंकों का नया कदम और सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
उदार धनप्रेषण योजना (Liberalized Remittance Scheme) के अन्तर्गत, चिकित्सा उपचार और शिक्षा संबंधी खर्चों को छोड़कर अन्य सभी उद्देश्यों के लिए 20 प्रतिशत तक के कर का प्रावधान किया गया है। शिक्षा और चिकित्सा पर खर्च किए गए पैसे पर लगने वाला कर अपेक्षाकृत कम है। विशेषज्ञों ने बताया है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के माध्यम से Liberalized Remittance Scheme के अंतर्गत व्यय करने पर अनेक संशय उत्पन्न होते हैं, जैसे कि बैंक इस बात पर कैसे नज़र रखेगा कि क्रेडिट कार्ड से किया गया अंतिम खर्च क्या है और यदि खर्च चिकित्सा उद्देश्य से किया गया है, तो उसे किस श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा।
केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर, सौरभ भालेराव ने उल्लेख किया है कि भारत में रहते हुए विदेशी मुद्रा में किए गए लेनदेन को लेकर विसंगतियां मौजूद हैं, जैसे कि विदेशी पत्रिकाओं या अखबारों का सब्सक्रिप्शन जिसमें डॉलर में भुगतान किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि एलआरएस सीमा के तहत धनराशि का उचित वितरण सुनिश्चित करना एक चुनौती है, विशेषकर जब कई उपभोक्ता इसमें शामिल होते हैं। यदि एक व्यक्ति अपने और अपने परिवार के लिए छुट्टी पर 5 लाख रुपये खर्च करता है, तो क्या इस पूरे खर्च को उसके नाम पर गिना जाएगा या इसे परिवार के हर सदस्य के अनुपात में वितरित किया जाएगा जो उस छुट्टी पर गए थे।
Liberalized Remittance Scheme के अंतर्गत विदेशी मुद्रा लेन-देन: भारतीय बैंकों की नई रणनीति और सरकार का इंतजार
इसके अलावा, कॉर्पोरेट क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड से किए गए खर्च में एलआरएस के तहत अंतर करने की स्पष्टता का अभाव है, खासतौर पर जब व्यक्तिगत क्रेडिट कार्डों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। एलआरएस के अंतर्गत विदेशी मुद्रा के खर्च को शामिल करने का प्रमुख उद्देश्य विदेश में विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह को रोकना है, यह देखते हुए कि एलआरएस के तहत होने वाले रेमिटेंस में पिछले कुछ वर्षों में नाटकीय वृद्धि हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि 2023-24 के अप्रैल से जनवरी के मध्य में एलआरएस के अंतर्गत 27.42 अरब डॉलर की राशि विदेशों में भेजी गई, जो पिछले वर्ष के 22.98 अरब डॉलर की तुलना में 24% अधिक है।
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