CAA केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने के लिए आवश्यक नियमों की घोषणा आगामी लोकसभा चुनाव से पहले की जाएगी। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि CAA के क्रियान्वयन में कोई व्यवधान नहीं आ सकता है और इसे लागू करने में कोई रोक-टोक नहीं हो सकती। यह बयान सरकार की सीएए को लेकर प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इससे इस कानून के क्रियान्वयन की दिशा में एक स्पष्टता प्रदान करता है।
CAA लागू होने की शुरुआत: आज से नया अध्याय, मोदी सरकार जारी करेगी नोटिफिकेशन!
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। यह पुष्टि हुई है कि देश में CAA को वास्तव में लागू किया जाएगा, और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आज रात तक इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में यह स्पष्ट किया था कि CAA को लागू करने के नियमों की घोषणा आगामी लोकसभा चुनाव से पहले की जाएगी।
उन्होंने 27 दिसंबर को एक सभा में यह भी कहा कि CAA के क्रियान्वयन को रोकना किसी के लिए संभव नहीं है, क्योंकि यह अब देश का कानून है। इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया। अमित शाह ने कोलकाता में भाजपा की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि CAA का लागू होना उनकी पार्टी की प्रतिबद्धता है और वे इसे हर हाल में लागू करेंगे।
संशोधित नागरिकता अधिनियम-2019 (CAA) के आसपास की राजनीति लंबे अरसे से उफान पर है। हाल ही में, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने एक बड़ा बयान दिया। उनका कहना था कि अगर आगामी लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह CAA को निरस्त कर देगी। खेड़ा ने आगे कहा, “असम में बाहर से आए लोगों के लिए वैधता प्रदान करने की अंतिम तिथि 1971 है,
लेकिन CAA इस तिथि को बदलकर 2014 कर देगा।” इसके अलावा, कांग्रेस नेता ने असम समझौते का हवाला देते हुए उल्लेख किया कि बांग्लादेश से असम में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए तय की गई अंतिम तारीख 25 मार्च, 1971 है।
जानें क्या है CAA
CAA के अंतर्गत, नरेंद्र मोदी की केंद्रीय सरकार ने 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, और ईसाई समुदाय के लोग) को भारतीय नागरिकता देने की व्यवस्था की है। इस कानून के तहत, इन तीन पड़ोसी देशों से आए बिना वैध दस्तावेजों वाले अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को लाभ प्राप्त होगा। सीएए दिसंबर 2019 में पास हुआ था और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। फिर भी, इस कानून का क्रियान्वयन अभी तक नहीं हो पाया है क्योंकि इसके लागू होने के लिए आवश्यक नियमों का निर्धारण जरूरी है।
संसद में सीएए के पास होने के बाद, देश के कई हिस्सों में इसके विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों और पुलिस की कार्रवाई के दौरान, 100 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो गई।
CAA को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन
असम के मुख्यमंत्री, हिमंत विश्व शर्मा ने हाल ही में सीएए को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उनका सुझाव था कि सीएए के विरोधियों को आंदोलनों का आयोजन करने के बजाय, अपनी शिकायतों के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर मुड़ना चाहिए। शर्मा ने बताया, “असम के लोग दो विचारधाराओं में विभाजित हैं। एक वर्ग सीएए का समर्थन करता है, जिसमें मैं भी शामिल हूं, वहीं दूसरा वर्ग इसका विरोध करता है।
हमें दोनों पक्षों के दृष्टिकोण को स्वीकार करने की आवश्यकता है। हमें किसी की आलोचना नहीं करनी है चाहे वो इसका विरोध करें या समर्थन।” उन्होंने अवैध प्रवासी अधिनियम का उदाहरण देते हुए कहा कि बहुत से लोग इसके विरोध में थे, लेकिन इसे रद्द सुप्रीम कोर्ट ने किया, किसी आंदोलन ने नहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर असम में सीएए को लागू किया गया, तो विपक्षी राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों ने राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की धमकी दी है।